पति पत्नि में चल रही थी
बहस ज़ोरदार
दोनो तरफ से हो रही थी
सद्वचनो की बोछार
हमेशा की तरह इस बार भी
पत्नि जीती, पति ने मानी हार
मुँह लटकाए होले होले
श्रीमान श्रीमती जी से बोले
क्यों मुँह की तोप से
तानों के करती रहती हो प्रहार
कभी तो हमारे आगे भी
डाल दिया करो हथियार
पत्नी जो काट रही थी आलू
अचानक हो गयी दयालू
और बोली, ठीक कहते हो
इस परिवार की कश्ती के
टूटे हुए पतवार
लो डाल दिया मैने हथियार
इतना कहकर उसने
आलू काटता हुआ चाकू
पति के सामने पटका
पति को लगा ज़ोर का झटका
पत्नी अति भोली
इठलाती हुई बोली
अब इस हथियार को उठाओ
आलू काटो- सब्जी बनाओ
खुद खाओ ना खाओ पर मुझे खिलाओ।
लेखक(कवि)
मुकेश ' कमल'
7986308414