बुधवार, 26 नवंबर 2025

दो प्यार की बातें


मिलते ही शुरु करदी बेकार की बातें
कभी तो कर लिया करो दो प्यार की बातें।

समझों कभी तो मेरे दिल की धड़कनों का राज़
नाज़ुक सी उंगलियों से चाहत का छेड़ो साज़
मुस्कुराओं ना करो तक़रार की बातें
कभी तो कर लिया करो दो प्यार की बातें।

बेकार की बहस में क्यों जवानी ये खोये
यूँ ही बिता के इसको हासिल ना कुछ होये
अपनी कहों मेरी सुनों ना करों संसार की बातें
कभी तो कर लिया करो दो प्यार की बातें।

अनमोल है हर-पल ‘कमल’ जो प्यार में गुज़रा
महबूब का माशूक़ के दीदार में गुज़रा
आग़ोश की बातें, बाहों के हार की बातें
कभी तो कर लिया करो दो प्यार की बातें।

लेखक(कवि),
मुकेश ‘कमल’
7986308414

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