टीवी के बिन ना गलती अब दाल क्या कहें।
शौहर से ज़्यादा बीवी को प्यार टीवी से
बच्चों से ज़्यादा मां को दुलार टीवी से
देखती है टीवी सब कुड़ियां मस्त होकर
आंखों कोे सेंकती है बुढ़िया मस्त होकर
बासी कढ़ी में आ रहे उबाल क्या कहें
टीवी के बिन ना गलती अब दाल क्या कहें।
देखते है कार्टून बच्चे छोड़ पढ़ाई
टॉम एंड जेरी के जैसे करते लड़ाई
अपने को स्पाइडरमैन वो ही मैन कहते है
ख़ुद को शक्तिमान के वो फैन कहते है
आकाश को बनाते पाताल क्या कहें
टीवी के बिन ना गलती अब दाल क्या कहें।
बूढ़े जवान सारे ही डूबे है मैच में
रहता है ध्यान हरदम बैटिंग में कैच में
है पैर कब्र में, तबियत मगर रंगीन
भजन के ना सत्संग के फिल्मों के है शौकीन
श्री देवी पे फिदा बुड्ढा रामलाल क्या कहें
टीवी के बिन ना गलती अब दाल क्या कहें।
संस्कार सभ्यचार एक ओर पड़े है
इस नंगेपन ने खोखली कर डाली जड़े है
फैशन टीवी, ट्रेंडज जैसे चैनलों की होड़
धावक है युवा पीढ़ी और है नग्नता की दौड़
शर्मों हया का टीवी बना काल क्या कहें
टीवी के बिन ना गलती अब दाल क्या कहें।
मुकेश कमल
7986308414
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