गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025

ज़ाम से ज़ाम

साकी ने दिया ज़ाम होंठों से लगाके पी 
कल से छोड़ देना आज मुस्कुरा के पी

जो कहते है कि यारों ये चीज़ बुरी है
उन दोस्तों को आज तू दिखा दिखाके पी

पीते हुए का कोई तेरा हाथ रोक ले, तो
उसको मना करके बहाना बनाके पी

माना दर्द ज़माने का इस दिल में है भरा 
आज रात उस दर्द को तू भुलाके के पी

दिल भी टूटा है ये कांच टूट जाने दे 
ज़ाम से ज़ाम आज रात टकराके पी

दीवानों का परवानों का मयखाना ठिकाना 
आज "कमल" तू मयखाने जाके पी

मुकेश कमल 
7986308414

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें