हाथ
पसारे आया था इस जग में तू नादान
जायेगा
हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार
जायेगी
तेरे संग ये दौलत ना ये महल मीनार
जायेगा
हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार
तेरा
नहीं कोई अपना यहाँ बंदे
मतलब के सब रिश्ते, स्वार्थ के है फंदे
मर जायेगा केवल दो दिन
रोयेंगे रिश्तेदार
जायेगा
हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार
पानी
में बनता इक है बुलबुला जीवन
इक पल
में फुटेगा मिट जायेगा ये तन
है
नाश्वान ये देह ये क्षणभंगुर है सब संसार
जायेगा
हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार
माया के
पीछे तू शैतान बन बैठा
लालच का
पुतला तू इंसान बन बैठा
अंतसमय सब हासिल, फिर भी होगा लाचार
जायेगा
हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार
मुक्ति
अगर तुझको पानी है रे प्राणी
सब का
भला सोचो बोलो मधुर वाणी
नेक कर्म ‘कमल’ तू करले अपना उद्धार
जायेगा
हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार
लेखक(कवि),
मुकेश ‘कमल’
09781099423