मन के महासागर में
ख़्यालों की नांव
चल रही है
बिन मांझी
बिन पतवार
लहरों के थपेड़ों से
डोलते ख़्याल
चुपचाप
बोलते ख़्याल
जो अपने आप आते
कभी नहीं भी आते
कभी सही भी होते
कभी नहीं भी होते
पर
ख़्यालों का प्रवाह
जीवन का प्रवाह
होता है
ख़्याल
जो बताते है
की अभी
दिल नें धड़कना
बंद नहीं किया
धड़कनों का साज़
छेड़ रहा है
नई स्वरलहरियाँ
धड़कनें जिनसे है नाता
गहरा ख़्यालों का
धड़कनें जो देती है
पहरा ख्यालों का
धड़कन हर-क्षण
देती है
ख़्याल को जन्म
ख़्याल
जिसमें हम
कई बार
ऐसे खो जाते है
कुछ देर ही सही
ख़ुद से भी
दूर हो जाते है
ख्याल रूपी
नाँव पर सवार
हक़ीक़त रूपी
किनारों की तलाश में
भटकते है
डगमगाते है
लड़खड़ाते है
डरते भी है
लहरों से
लड़ते भी है
कभी धैर्य बंधाते है
कभी डूब भी जाते है
बीच मझधार
कभी प्रयत्न संघर्ष से
लग जाते पार
मन के महासागर में
ख्यालों की नाँव
मन के
महासागर में........
लेख़क (कवि),
मुकेश 'कमल'
09781099423
ख़्यालों की नांव
चल रही है
बिन मांझी
बिन पतवार
लहरों के थपेड़ों से
डोलते ख़्याल
चुपचाप
बोलते ख़्याल
जो अपने आप आते
कभी नहीं भी आते
कभी सही भी होते
कभी नहीं भी होते
पर
ख़्यालों का प्रवाह
जीवन का प्रवाह
होता है
ख़्याल
जो बताते है
की अभी
दिल नें धड़कना
बंद नहीं किया
धड़कनों का साज़
छेड़ रहा है
नई स्वरलहरियाँ
धड़कनें जिनसे है नाता
गहरा ख़्यालों का
धड़कनें जो देती है
पहरा ख्यालों का
धड़कन हर-क्षण
देती है
ख़्याल को जन्म
ख़्याल
जिसमें हम
कई बार
ऐसे खो जाते है
कुछ देर ही सही
ख़ुद से भी
दूर हो जाते है
ख्याल रूपी
नाँव पर सवार
हक़ीक़त रूपी
किनारों की तलाश में
भटकते है
डगमगाते है
लड़खड़ाते है
डरते भी है
लहरों से
लड़ते भी है
कभी धैर्य बंधाते है
कभी डूब भी जाते है
बीच मझधार
कभी प्रयत्न संघर्ष से
लग जाते पार
मन के महासागर में
ख्यालों की नाँव
मन के
महासागर में........
लेख़क (कवि),
मुकेश 'कमल'
09781099423
बहुत बढ़िया मुकेश कमल जी। आपकी लेखनी काबिले तारीफ है जी।
जवाब देंहटाएंShukriya janaab ji
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