रविवार, 8 जनवरी 2017

जायेगा हाथ पसार


हाथ पसारे आया था इस जग में तू नादान
जायेगा हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार
जायेगी तेरे संग ये दौलत ना ये महल मीनार
जायेगा हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार

तेरा नहीं कोई अपना यहाँ बंदे
मतलब के सब रिश्ते, स्वार्थ के है फंदे
मर जायेगा केवल दो दिन रोयेंगे रिश्तेदार
जायेगा हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार

पानी में बनता इक है बुलबुला जीवन
इक पल में फुटेगा मिट जायेगा ये तन
है नाश्वान ये देह ये क्षणभंगुर है सब संसार
जायेगा हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार

माया के पीछे तू शैतान बन बैठा
लालच का पुतला तू इंसान बन बैठा
अंतसमय सब हासिल, फिर भी होगा लाचार
जायेगा हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार

मुक्ति अगर तुझको पानी है रे प्राणी
सब का भला सोचो बोलो मधुर वाणी
नेक कर्म कमल’ तू  करले अपना उद्धार
जायेगा हाथ पसार-जायेगा हाथ पसार

लेखक(कवि),
मुकेश कमल
09781099423


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