शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

सफेद बाल

एक दिन भोला
अपने कंजूस सेठ से बोला
सेठ जी आपकी सेवा करते करते
मुझे कई साल हो गये
जो काले काले लहराते थे
वो सभी सफेद बाल हो गये
बहुत बढ़ गई है महंगाई
मगर आपने
मेरी पगार नहीं बढ़ाई
अब तो मुझपे नज़रें करम किजिये
मेरे इन सफेद बालों की शरम कीजिये
सेठ जी तनख्वाह बढ़ा दीजिये
सुरसा के मुख सी बढ़ी महंगाई है
कल ही गांव से चिट्ठी आई है
बापू को दमा हो गया है
गठिया से पीड़ित माई है
पत्नी का पांव भारी है
पांचवें बच्चे की तैयारी है
दो छोटी बहन कुंवारी है
वो भी हूज़ूर मेरी ज़िम्मेवारी है
कहते कहते भोले भोला की
आंखे भर आई, चेहरा हुआ उदास
जैसे बंज़र भूमि में सूखी घास
भोला की दयनीय हालत देख
सेठ जी हो गये भावुक
बस भोला मैं दुखी हूँ
सुनके तुम्हारा दुख
मुझे क्षमा करो मेरे भाई
मैं हूँ कितना, निर्दयी कसाई
बड़ा निष्ठुर हूँ मैं, जिसे तेरे
सफेद बालों पे दया ना आई
इतना कह्कर सेठ नें
गल्ले मे हाथ डाला
और उसमें से एक मरा सा
फटेहाल पांच का नोट निकाला
भोला को देके बोले
ले भोले
तू भी क्या याद करेगा
सेठ मिला था दिलवाला
ला इन पैसों की काली मेहंदी
करले इन बालों को काला

लेखक(कवि),
मुकेश कमल
09781099423





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