अपनी लगाई आग में ख़ुद, आदमी जल जाए ना
ठहर जाओ बावलों ये, ज़िन्दगी जल जाए ना
है चमन चिंतित बहुत इस , आज के हालात पर
औंस की बूँदों से कही, कोई कली जल जाए ना
आग से खेलने वालों, तुम्हारी आग से
पीढ़ियों के मासूम बचपन की, हँसी जल जाए ना
चाँद ने गर मान ली हार इस अन्धकार से
मद्धम-मद्धम सी कही ये रोशनी जल जाए ना
दिन ये जलता रहता है दिनभर समय की आग में
ऐ ख़ुदा तू ख़ैर कर ये, रात भी जल जाए ना
जलने से पहले शमा अब सोचती है ये 'कमल'
मेरे जलने से किसी की झोपड़ी जल जाये ना
लेख़क (कवि),
मुकेश 'कमल'
09781099423
ठहर जाओ बावलों ये, ज़िन्दगी जल जाए ना
है चमन चिंतित बहुत इस , आज के हालात पर
औंस की बूँदों से कही, कोई कली जल जाए ना
आग से खेलने वालों, तुम्हारी आग से
पीढ़ियों के मासूम बचपन की, हँसी जल जाए ना
चाँद ने गर मान ली हार इस अन्धकार से
मद्धम-मद्धम सी कही ये रोशनी जल जाए ना
दिन ये जलता रहता है दिनभर समय की आग में
ऐ ख़ुदा तू ख़ैर कर ये, रात भी जल जाए ना
जलने से पहले शमा अब सोचती है ये 'कमल'
मेरे जलने से किसी की झोपड़ी जल जाये ना
लेख़क (कवि),
मुकेश 'कमल'
09781099423
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