सोमवार, 23 जनवरी 2017

सॉलिड उनका हाज़मा

पिता पुत्र से बोले, क्या बनोंगे बेटा
बेटा बोला होकर बड़ा बनूंगा नेता

देशसेवा करूँगा बन जनता का सेवक
लोग करेंगे मेरी आपकी प्रशंसा बेशक

नाम करूँगा रोशन नेता बन के आपका
बेटे ही तो मान बढ़ाएँ अपने बाप का

सुन बेटे की बात पिताजी हुए उदास
तुमसे मैने कितनी लगा रखी थी आस

पता नहीं था बेड़ा यूँ जाएगा गर्क में
नेता बनके भिजवाओगे हमें नर्क में

नादानी में बोल गये क्योकि बच्चे हो
बन नहीं सकते नेता बेटा तुम सच्चे हो

लोकतंत्र ओर प्रजातंत्र को भस्म किए जा
राजनीति का मूलमंत्र सब हज़्म किए जा

मदिरा माँस ना खाते तुम हो शाकाहारी
लेकिन कुछ भी ना छोड़े नेता व्यभिचारी

वो खाते पशुचारा सॉलिड उनका हाजमा
बेटा तुम तो नहीं पचा पाते हो राजमा

वो खा जाए रेल ना तुम को पचती भेल
तेरा ओर नेता का आपस में क्या मेल

सड़के सरकारी पुल ओर तोपे खा जाते हैं
शहीदों के ताबूत कफ़न भी पचा जाते हैं

बनकर बाज़ ये नेता इस समाज को नोचे
जनता की बेटी बहुओं की लाज को नोचें

हजम करे देश को खाए बिन हाज़मोला
बन सकता नही नेता क्योंकि तू हैं भोला

बेटा भूखे प्यासे ही हम दोनों जी लेंगे
जनता का नहीं खून, खुद के आँसू पी लेंगे
                                                   
लेखक (कवि) 
मुकेश 'मल'
09781099423

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