सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

वंश बेल की वेदी

जाने मज़बूरियां क्या उसकी रही होगी 
वो मर गयी होगी या मारी गयी होगी 

जो फंदे पर है लटकी या कि लटकाई गयी होगी 
वो बहू तुम्हारी है पर, बेटी किसी की लाडली होगी 

जिसे माँ -बाप ने धूप तक लगने ना दी होगी 
वो बेटी आग में बे-वजह तो नहीं जली होगी 

वो घर कभी सम्मान का हक़दार ना होगा 
जिस घर में घर की लक्ष्मी पर ज्यादत्ती होगी 

बेटों की चाहत में हज़ारों बेटियाँ 'कमल'
वंश बेल की वेदी पे चढ़ गयी बलि होगी 

लेख़क (कवि ),
मुकेश 'कमल'
09781099423 



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