बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

ये मेरी डायरियाँ ज़िन्दगी

ना पूछों मैं कैसे जिया ज़िन्दगी 
तबाह यूं ही अपनी किया ज़िन्दगी ॥ 

सिर्फ एक घूँट अमृत की ख़ातिर 
ज़हर ता-उम्र है पिया ज़िन्दगी ॥ 

जो था पास सब कुछ लुटाता गया 
दिया सबको कुछ ना लिया ज़िन्दगी ॥ 

जिस-जिस पे मैंने भरोसा किया 
दगा मुझको उसने दिया ज़िन्दगी ॥ 

हँसी मेरे लब से चुरा ले गया वो 
मुझे दे गया सिसकियां ज़िन्दगी ॥ 

जो ज़हन में था 'कमल' मैं लिखता गया 
अब है ये मेरी डायरियाँ ज़िन्दगी ॥ 

लेख़क 
कवि मुकेश 'कमल'
09781099423 

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