शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

लट्टू-टट्टू

लाख इसे समझते हैं पर समझे ना ये हसीना
राह चले ये मटक मटक कर हमको आए पसीना

दो घंटे मेकप में लगाये दो घंटे पैकअप में
दो घंटे हैं फिर ये लगाती दोनो के चेकअप में

बिना बात गुस्सा हैं करती रूठ के जाती बैठ
करती आप खता पर उसकी हमे दिखाएँ ऐठ

प्यार दिखाएँ जिस दिन उस दिन समझ अनाड़ी
मंगवा कर ही मानेगी आभूषण या साड़ी

जितनी अभिनेत्री हैं बॉलीवुड में उपरवाले
उन सबके नखरें तुमने हैं इसमे डाले

कज़रारे नैनों से करके पति  को लट्टू
रखती हैं जीवनभर उसको बनके टट्टू

सच कहता हैं 'कमल 'जितने चैनल टीवी के
उससे भी ज़्यादा नखरें होते हैं बीवी की

लेखक (कवि)
मुकेश 'कमल'
09781099423



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