शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

आधा घरवाला

ससुराल में बीवी का भाई जो साला होता 
साली की तरह वो भी आधा घरवाला होता 

होता प्यारा वो भी बड़ा हो चाहे छोटा 
कई बार लाखों  का होता है ये सिक्का खोटा 

जब-जब साला आता अपनी बहन से मिलने 
देखके उसका सूटकेस मन लगता खिलने 

खाली हाथ कभी ना बहन के घर को जाता 
कपड़े-लत्ते,  फ्रूट-मिठाई लेकर आता

रक्षाबंधन भाईदूज पर उसके जाओ 
टीका कर राखी बाँधों, बाँध के गठरी लाओ 

साला हो चाहे गोरा हो या हो काला 
साला आये जीजा के घर करे उजाला

साले के  घर जब पहुंचे हम सजनी-सैंया 
हमको भूली सजनी करती भैया-भैया 

लेख़क (कवि ),
मुकेश 'कमल'
09781099423 

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