गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

आरती पत्नी प्यारी की

आरती पत्नि प्यारी की
सास की राजदुलारी की

मायके में फिरती इतराती-मियां को नखरे दिखलाती
इठ्लाती और लहराती, 
चले तनके-माधुरी बनके
तीखी तेज़ कटारी की
सास की राजदुलारी की

ना माने बात पति की है, लगे ये बिना मति की
हमारी दुर्गति की है, 
करूं में क्या-दवा तो बता
इस सरदर्द बीमारी की
सास की राजदुलारी की

ये मेकअप की दीवानी है, कुमोलिका की ये नानी है
हिट्लर मेरी जनानी है, 
सदा अकड़े-सदा झगड़े
आफत भरी पिटारी की
सास की राजदुलारी की

रहती  है टी.वी में डूबी, ये मेरी जानी मेहबूबी 
अज़ूबा है या अज़ूबी, 
मेरी बीवी-है-या टी.वी
स्टार-प्लस की मारी की
सास की राजदुलारी की

झाड़ू मुझसे लगवाती, बर्तन मुझसे मंजवाती
खाना भी मुझसे पकवाती, 
पावभाजी-बनादो नाजी
कहे ताज़ी तरकारी की
सास की राजदुलारी की

फंस गया हूँ शादी करके, छूटेगा अब पीछा मरके
कपड़े धोये टब भरके, 
साड़ी सलवार-धोवे है यार
कमल तो अपनी नारी की
सास की राजदुलारी की

लेखक (कवि),
मुकेश कमल

9781099423

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