एक घरवाला होता एक
घरवाली होती
घरवाले को प्यारी
लेकिन साली होती
साली चाहे गोरी हो, या काली होती
जैसी भी हो वो चम्पा
की डाली होती
सब कहते, साली आधी घरवाली होती
पूरी होती तो दिन
रात दिवाली होती
जीजा साली में जब जब
कव्वाली होती
साली के गालों पे तब
तब लाली होती
खुशनसीब जिनकी साली मतवाली
होती
बीवी कप चाय, वो कॉफी की प्याली होती
बड़े चाव से ‘कमल’ सासू
ने पाली होती
रिश्ता भी होती, मजाक भी और गाली होती
लेखक (कवि),
मुकेश ‘कमल’
09781099423
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