खुद जले औरों को पर, दी रोशनी अंबेडकर
वार दी दलितों की खातिर, ज़िंदगी
अंबेडकर
कर दिए कुर्बान चारों, पुत्र आदि क़ौम
पर
उफ्फ तलक थी ना करी, एक बार भी अंबेडकर
लिख दिया संविधान, गणतंत्र लागू कर दिया
गणतंत्र दिवस पर तेरा, ज़िक्र भी नहीं
अंबेडकर
तुमने दिलाया दलितों को, इंसान का
दर्ज़ा
हक़ की लड़ाई सवर्णों से, तुमने लड़ी
अंबेडकर
मूल निवासी, आदिवासी, पिछड़ों को आगे
किया
जान तुमने मुर्दों मे थी, फूँक दी
अंबेडकर
शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो
दोस्तों
बात ‘कमल’ शाश्वत सत्य, सदा कही अंबेडकर
लेखक (कवि),
मुकेश 'कमल'
09781099423
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