सिर पर
टोपी गले में मफ्लर डालके खाँसीवाल
खासम
खासों को पहना दी आम आदमी खाल
गुरु
गुरु कह अन्ना जी को ऐसा खेला खेल
गायब
अन्ना जी हैं, अब हैं चेले गुरु घंटाल
करना ना
धरना कुछ हैं केवल धरना करना हैं
धरना कर
करके हैं गलानी राजनीति में दाल
प्रेस
वार्ता नित करना और करना नये खुलासे
बिना साक्ष्य
कहे हर नेता अंबानी का दलाल
खाकर
कसमें बच्चों की जो बदल जाए इंसान
गिरगिट
भी शर्मिंदा हैं वाह वाह तेरे रंग कमाल
महँगाई
ग़रीबी अनपढ़ता भुखमरी बेरोज़गारी मुद्दा
नहीं हैं
केवल एक ही रट जय जय जनलोकपाल
कहे 'कमल' अब सुनो, महोदय जी शर्म करो
जनता की
तुम भावनाओ से मत खेलो फुटबॉल
लेखक
(कवि),
मुकेश 'कमल'
09781099423
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