कभी कभी
ज्यादा होशियारों
ज्यादा होशियारों
की भी
हो जाती है जगहँसाई
एक सज्जन नाई की
दुकान पर जाकर
बोले भाई
क्या तुमने कभी
गधे की हज़ामत बनाई
नाई भी था हाई-फाई
हाज़िरज़वाबी में
दिखा गया चतुराई
जैसे ही होशियारचंद ने
बात फिर से दोहराई
क्या तुमने कभी
गधे की हज़ामत बनाई
आओ बैठो बोला नाई,
कोशिश करने में
क्या जाता हैं भाई
लेखक (कवि),
09781099423
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