बुधवार, 21 दिसंबर 2016

हज़ामत

कभी कभी 
ज्यादा होशियारों 
की भी 
हो जाती है जगहँसाई 

एक सज्जन नाई की
दुकान पर जाकर
बोले भाई

क्या तुमने कभी
गधे की हज़ामत बनाई

नाई भी था हाई-फाई 
हाज़िरज़वाबी में 
दिखा गया चतुराई

जैसे ही होशियारचंद ने 
बात फिर से दोहराई 

क्या तुमने कभी
गधे की हज़ामत बनाई 

आओ बैठो बोला नाई,
कोशिश करने में
क्या जाता हैं भाई

लेखक (कवि),
मुकेश 'कमल'
09781099423 

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