मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

जाने मेरे देश में


जाने मेरे देश में हो रहा क्या आज कल,
हो गये हैं राज फिर से जो खुले थे राज कल

कृष्ण मुरली की धुन में डूबे, और द्रोपदी की,
लूटी कौरवों ने मिलके बीच सभा में लाज़ कल

मुँह छिपा के रोया था संविधान फिर से देश का,
एक गधे के सिर पे शोभित देख शाही ताज कल

पॉप राक रैप ज़ैज़ डिस्को की धमाल में,
बेसुरे हो जाएँगे ये शास्त्रीय साज़ कल

आज बेशक कोई तुझको पूछता ना हो 'कमल',
लेकिन तेरे अंदाज़ पर होगा सभी को नाज़ कल

लेखक (कवि)
मुकेश 'कमल'
09781099423

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