मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

उस्तरे से बचाव


सैलून में हम गये कराने शेव
नाई साहब शेव करने लगे
उस्तरे की धार तेज़ रफ़्तार
देख हम डरने लगे

उस्तरे की धार करता हुआ हाई
बोला नाई, जनाब आप हो कितने भाई
हम सोच रहे थे ये नाई है या कसाई

मैं मौन, उस्तरा लहराया
उसने अपना प्रश्न फिर दोहराया

जनाब आप कितने भाई हो.....
मैं बोला,तेरे उस्तरे से बच गया तो तीन,
वरना समझ लेना दो.............
                              
लेखक (कवि),
मुकेश 'कमल'
09781099423


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें