सैलून में हम गये कराने शेव
नाई साहब शेव करने लगे
उस्तरे की धार तेज़ रफ़्तार
देख हम डरने लगे
उस्तरे की धार करता हुआ हाई
बोला नाई, जनाब आप हो
कितने भाई
हम सोच रहे थे ये नाई है या कसाई
मैं मौन, उस्तरा लहराया
उसने अपना प्रश्न फिर दोहराया
जनाब आप कितने भाई हो.....
मैं बोला,’ तेरे
उस्तरे से बच गया तो तीन,
वरना समझ लेना दो.............
लेखक (कवि),
मुकेश
'कमल'
09781099423
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