गूँगी है आवाम और, बहरी सियासत है
आज भी अंधो का राजा, कोई काना बनता है
आज भी अंधो का राजा, कोई काना बनता है
मंदबुद्धि लोग हम अशिक्षा के रोगी हुऐ
चतुर-चापलूस नेता जी सयाना बनता है
चतुर-चापलूस नेता जी सयाना बनता है
वोट दी स्पोर्ट किया, संसद भेजा जिसे
आज पहचानता ना अनजाना बनता है
कोठी पे जो जाए, लेके जनता समस्यायें
दिल्ली गए नेता जी ये ही, बहाना बनता है
आज पहचानता ना अनजाना बनता है
कोठी पे जो जाए, लेके जनता समस्यायें
दिल्ली गए नेता जी ये ही, बहाना बनता है
जिस क्षेत्र के हो प्रतिनिधि सांसद महोदय
एकबार वहां भी तो, शक्ल दिखाना बनता है
एकबार वहां भी तो, शक्ल दिखाना बनता है
हम आम आदमी है गम खाके जी रहे है
आप ख़ास आपको, ज़हर खाना बनता है
आप ख़ास आपको, ज़हर खाना बनता है
उसको सुधारना है, लोकतंत्र छलिया जो
टेंटुआ समझ ई वी एम , दबाना बनता है
टेंटुआ समझ ई वी एम , दबाना बनता है
पांच साल चुन 'कमल', अभी तक भुगता है
इस दफा, चुनावों में उसे, दफ़नाना बनता है
इस दफा, चुनावों में उसे, दफ़नाना बनता है
लेख़क
कवि मुकेश 'कमल'
09781099423
कवि मुकेश 'कमल'
09781099423