सोमवार, 20 मार्च 2017

अंधों का काना राजा


गूँगी है आवाम और, बहरी सियासत है
आज भी अंधो का राजा, कोई काना बनता है


मंदबुद्धि लोग हम अशिक्षा के रोगी हुऐ
चतुर-चापलूस नेता जी सयाना बनता है


वोट दी स्पोर्ट किया, संसद भेजा जिसे
आज पहचानता ना अनजाना बनता है


कोठी पे जो जाए, लेके जनता समस्यायें
दिल्ली गए नेता जी ये ही, बहाना बनता है


जिस क्षेत्र के हो प्रतिनिधि सांसद महोदय
एकबार वहां भी तो, शक्ल दिखाना बनता है


हम आम आदमी है गम खाके जी रहे है
आप ख़ास आपको, ज़हर खाना बनता है


उसको सुधारना है, लोकतंत्र छलिया जो
टेंटुआ समझ ई वी एम , दबाना बनता है

पांच साल चुन 'कमल', अभी तक भुगता है
इस दफा, चुनावों में उसे, दफ़नाना बनता है


लेख़क
कवि मुकेश 'कमल'
09781099423

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