ना भूल कर वो गुनाह करना
कि पड़ जाए नीची निगाह करना
जो तेरे कुल को करे कलंकित
वो काम क्योंं ख़्वामख़ाह करना
जब रिश्तों में प्यार-अदब रहे ना
हो रिश्तें मुश्किल निबाह करना
उसकी सूरत नहीं सीरत देखियेगा
जिससे भी चाहो निकाह करना
ख़ुशी से ले ले जो मिल रहा है
जो मिल सके ना क्यों चाह करना
ख़ुदा को क्या मूँह दिखलाओगे
तुम, ये बैठ ख़ुद से सलाह करना
'कमल' तू फिक्र कर दोस्तों की
ना दुश्मनों की परवाह करना
लेख़क
कवि मुकेश 'कमल'
09781099423
Aapki shaayari pe padta hai waah waah karna. Very nice...
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