गुरुवार, 2 मार्च 2017

बैठ ख़ुद से सलाह करना

ना भूल कर वो गुनाह करना 
कि पड़ जाए नीची निगाह करना 

जो तेरे कुल को करे कलंकित
वो काम क्योंं ख़्वामख़ाह करना 

जब रिश्तों में प्यार-अदब रहे ना 
हो रिश्तें मुश्किल निबाह करना 

उसकी सूरत नहीं सीरत देखियेगा 
जिससे भी चाहो निकाह करना 

ख़ुशी से ले ले जो मिल रहा है 
जो मिल सके ना क्यों चाह करना 

ख़ुदा को क्या मूँह दिखलाओगे 
तुम, ये बैठ ख़ुद से सलाह करना 

'कमल' तू फिक्र कर दोस्तों की 
ना दुश्मनों की परवाह करना 

लेख़क 
कवि मुकेश 'कमल'
09781099423 








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