मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016

द्रोह कर विद्रोह कर

आ गया समय अब द्रोह कर               
तू अन्याय से विद्रोह कर
संघर्ष तुझको करना हैं
जीवन से ना तू मोह  कर,
लालच के बंधन तोड़ दे,
अहंकार को तू छोड़ दे,
इतनी शक्ति तुझ में हैं,
तू रुख़ हवा का मोड़ दे,
सत्य का दामन थामकर,
कुछ ऐसा तू भी काम कर,
पथ की तू मुश्किले ना देख,
जग में तू रोशन नाम कर,
संघर्ष के पथ पर आज,
निकला हैं तू अकेला,
चिंतित तनिक ना होना,
कल संग होगा मेला,
युग को हैं जो बदलना,
खुद को बदल के देख,
पीछे चलेगी दुनिया,
तू आगे चल के देख,
मार्ग हैं कितना कठोर,
विघ्न भी तो हैं हज़ार,
उनसे गर हैं जूझना ,
तो तन को अपने लो‍ह कर,
आ गया समय अब द्रोह कर,
तू अन्याय से विद्रोह कर,
संघर्ष तुझको करना हैं ,
जीवन से ना तू मोह  कर.
लेखक (कवि),
मुकेश 'कमल'

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