शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

पहचान कौन है

कहते है बदल देंगे - संविधान कौन है,
नफ़रत की खोले बैठे है - दुकान कौन है।

सच बोलना हाकिम को गंवारा नहीं यहां,
खामोश है आवाम - बेजुबान कौन है।

क्यों मसला जा रहा है - कलियों, फूलों को बेवजह,
तितली तेरे गुलशन का बागबान कौन है।

हरे और भगवे रंग में देश को ये बांटने वाले,
तू इनके खूनी मंसूबे - पहचान कौन है।

किसी भी हाल में तुझको कभी मायूस ना देखा,
तेरे होठों से 'कमल' ले गया मुस्कान कौन है।
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कवि - मुकेश कमल 
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