आशिक जब माशूका का, शौहर बन जाएगा
इश्क का मीठा गुड़ यारो, गोबर बन जाएगा
कहलाएगा बॉस शहर में, पर अपने घर में
बेगम का ताबेदार वो, नौकर बन जायेगा
रोयेगा दिल में हँसके दिखलाए महफ़िल में
अपने घर में सर्कस का, जोकर बन जायेगा
आया तो बन चुका वो, बच्चों को खिलाता हैं
धोबी बीवी के कपड़े, धोकर बन जायेगा
जिसकी चाबी हरदम, बीवी के हाथों में हो
कभी कभी खुलने वाला लॉकर बन जायेगा
माँ बाप दोस्तों से वो 'कमल', बेगाना कर देगी
अपनों से पराया उसके संग, सोकर बन जायेगा
आशिक जब माशूका का शोहर बन जाएगा
इश्क का मीठा गुड़ यारो गोबर बन जाएगा
लेखक (कवि),
मुकेश 'कमल'
09781099423
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