वो अच्छे दिन के दिखा के सपने
दस साल उल्लू बना गया है।
दिन बद से बद्तर हमारे करके
एक मौका मांगने फिर आ गया है।
ना पंद्रह आए किसी के खाते
बस खाली जेबें फिरो हिलाते
वो बैंको का भी सारा पैसा
यारों पे अपने लूटा रहा है।
वो अच्छे दिन के............
कुछ नोटबंदी ने कमर तोड़ी
खर्च ना पाए जो रकम जोड़ी
ना धेला पल्ले ना पल्ले कोड़ी
जनता का जनधन कहां गया है।
वो अच्छे दिन के.................
है जनता पूछे बताओ साहेब
पीएम केयर फंड दिखाओ साहेब
साहेब दिखाकर हमें बत्तीसी
हर बात जुमला बता गया है।
वो अच्छे दिन के...............
करे कहां है वो जन की बातें
सुनाये अपने ही मन की बातें
है खत्म सारी वतन की बातें
धर्म में ऐसे उलझा गया है।
वो अच्छे दिन के............
कैमरा फ्रेम में फिट है साहेब
ड्रामे बाजी में हिट है साहेब
बदले रंग गिरगिट है साहेब
चल नया पैंतरा गया गया है
वो अच्छे दिन के..............
चुनावी बॉन्ड का खेल देखो
इन्ही के खाते मनी ट्रेल देखो
विपक्ष को डाला है जेल देखो
हथकंडे सारे आजमा गया है।
वो अच्छे दिन के................
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कवि - मुकेश कमल
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